उत्तराखंड मांगे भू कानून - भूमि सुधार अधिनियम उत्तराखंड

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उत्तराखंड भू कानून
उत्तराखंड मांगे भू कानून

बिगत कुछ दिनों से बिधान सभा चुनाव 2022 से पहले सोशल मीडिया पर उत्तराखंड मांगे भू कानून काफी ट्रेंड हो रहा है, राज्य मैं भू-कानून एवं चकबंदी का मुद्दा जोर-सोर से बढ़ रहा है। 

उत्तराखण्ड के गावों मैं पलायन चरम सीमा पर है जिसके चलते लोग अपना घर छोड़ कर अन्य जगह बस रहे हैं उनकी नजर मैं अब उनकी पौराणिक जन्म भूमि किसी काम की नहीं रही जिसके चलते अब बाहरी लोगों को अपनी भूमि को बेच रहे हैं। 

भूमि सुधार अधिनियम उत्तराखंड भू कानून क्या है

उत्तर प्रदेश से उत्तराखण्ड राज्य अलग होने के बाद भू सुधार अधिनियम 1950 लागू किया गया जिसके बाद इस कानून मैं समय-समय पर संसोधन किया गया, जिसके चलते भूमि खरीदने की सीमा मात्र 500 वर्ग मीटर रखी गयी और साल 2007 मैं इस मैं संसोधन कर और घटाया गया जिसके चलते इसकी सीमा 250 वर्ग मीटर रही परन्तु 2018 मैं भूमि सुधार अधिनियम 1950 के साथ धारा 143 (क) और 154 (2) को जोड़कर उत्तराखंड भूमि कानून के अंतर्गत औद्योगिक प्रयोजन के लिए खत्म किया गया जिससे भूमि खरीद सीमा भी ख़त्म हो गयी। 

अब पूर्व मुख्य मंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के बाद उत्तराखंड मांगे भू कानून का ट्रैंड सुरु हो चूका है जिसमें उत्तराखण्ड के लोग भू कानून की मांग कर रहे हैं जिसके चलते फिल्म के अभिनेता पाण्डे जी ने मुंबई से सोशल मीडिया पर एक वीडियो जारी कर कहा अगर देव भूमि उत्तराखण्ड को बचाना है तो उत्तराखण्ड के लोगों को भू कानून लाना बेहद जरुरी है।

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